बुज़ुर्गी की सेहत आज की थाली में छुपी है

आजकल जब हर दूसरी बातचीत डायबिटीज़, हार्ट अटैक, या ब्लड प्रेशर पर आ टिकती है, तब यह सवाल बेहद ज़रूरी हो जाता है — क्या वाकई बढ़ती उम्र को बीमारियों से आज़ाद रखा जा सकता है?

मैंने न्यूज़18 पर एक रिपोर्ट पढ़ी जो हार्वर्ड के टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक विस्तृत अध्ययन पर आधारित थी। यह रिपोर्ट इस विचार को चुनौती देती है कि अगर आपने अपनी जवानी में सेहत की अनदेखी कर दी, तो अब कुछ नहीं किया जा सकता। इसके उलट, अध्ययन कहता है — शुरुआत कभी भी की जा सकती है, बशर्ते इरादा पक्का हो और थाली समझदारी से सजाई जाए।

दरअसल, दुनिया भर में सेहत को लेकर एक अजीब सा विरोधाभास है। जितनी तरक्की टेक्नोलॉजी में हो रही है, उतनी ही गिरावट इंसानी शरीर में दिख रही है। एक तरफ स्मार्टवॉच हमारी हर हरकत ट्रैक कर रही है, दूसरी ओर प्रोसेस्ड फूड हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को खा रहा है।

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इसी भागती-दौड़ती ज़िंदगी में सेहत के सूत्र भी मौजूद हैं — वो भी आपकी प्लेट में। हार्वर्ड की स्टडी के अनुसार, 40 की उम्र के बाद अगर आप अपने भोजन में ताजे फल, हरी सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज, मेवे, मछली, दालें, और ऑलिव ऑयल को प्राथमिकता देना शुरू करते हैं, तो न सिर्फ बुढ़ापा फिट होगा बल्कि बीमारियों से भी दूरी बनी रहेगी।

मुझे इसमें सबसे ज़्यादा उम्मीद इस बात से मिली कि यह अध्ययन उन लोगों के लिए भी है जो बचपन या जवानी में हेल्दी नहीं खा पाए। यानी आपके पास एक नई शुरुआत का मौका आज भी है

यह विचार गहराई से सोचने पर मजबूर करता है कि हम अक्सर अपनी लाइफस्टाइल को ‘अभ्यास’ मानकर छोड़ देते हैं — जैसे एक बार जो आदत बन गई, उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन अगर हेल्दी डाइट से 80 की उम्र तक ऊर्जा और रोगमुक्त जीवन पाया जा सकता है, तो फिर बदलाव की शुरुआत आज क्यों न हो?

एक और रोचक पक्ष यह है कि इस अध्ययन में केवल “क्या खाएं” नहीं बताया गया, बल्कि “क्या न खाएं” उस पर भी ज़ोर है। शुगर युक्त पेय, कोला, पैकेज्ड जूस, चिप्स, रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड को ‘धीमा ज़हर’ समझें। ये चीजें धीरे-धीरे हमारी कोशिकाओं को जकड़ती हैं और बीमारियों की ज़मीन तैयार करती हैं।

शायद इसीलिए दुनियाभर में जिन समुदायों की औसत उम्र सबसे लंबी है — जैसे जापान के ओकिनावा निवासी या भूमध्यसागरीय क्षेत्रों के लोग — वहां का खाना अधिकतर प्लांट-बेस्ड होता है, सिंपल होता है, और सीज़नल होता है।

डॉ. लीना वेन ने CNN से बातचीत में जो बात कही, वो हमें लंबे समय तक याद रखनी चाहिए — “हेल्दी खाना सिर्फ वजन घटाने के लिए नहीं, उम्र बढ़ाने के लिए भी ज़रूरी है।”

आखिर में सवाल यही है कि हम क्या चाहते हैं? लंबी ज़िंदगी सिर्फ जीने के लिए, या अच्छी सेहत के साथ जीने के लिए? अगर जवाब दूसरा है, तो हमें अपनी थाली में रंग भरने होंगे — सब्ज़ियों के, फलों के, और थोड़े से ऑलिव ऑयल के भी।

अब बुढ़ापा किसे डराएगा, जब बचाव का नुस्खा हमारे ही किचन में रखा हो।

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