
भारतीय रसोई में मेथी कोई अनजाना नाम नहीं है। सर्दियों की सब्ज़ियों से लेकर दादी-नानी के नुस्खों तक, मेथी ने खुद को एक बहुउपयोगी औषधि के रूप में स्थापित किया है। इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर वेलनेस ब्लॉग्स तक, मेथी का पानी सेहतमंद जीवनशैली के एक सस्ते और प्राकृतिक समाधान के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन क्या वाकई यह हर शरीर और हर स्वास्थ्य स्थिति के लिए अनुकूल है?
आमतौर पर यह माना जाता है कि मेथी का पानी डायबिटीज़ से लेकर मोटापे और पाचन तक कई समस्याओं में फ़ायदेमंद है। यह बात गलत नहीं है। इसमें घुलनशील फाइबर होता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है, और इसके बीजों में ऐसे यौगिक होते हैं जो मेटाबोलिज़्म को बूस्ट कर सकते हैं। लेकिन आयुर्वेद और एलोपैथी — दोनों इस बात पर ज़ोर देते हैं कि हर औषधि की प्रकृति व्यक्ति-विशेष पर निर्भर करती है। यानी जो किसी के लिए अमृत है, वह दूसरे के लिए ज़हर भी हो सकता है।
आज की लाइफस्टाइल में ‘डिटॉक्स’ शब्द जितना पॉपुलर हुआ है, उतना ही गैर-जिम्मेदार तरीके से उसका इस्तेमाल भी बढ़ा है। हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि शरीर कोई मशीन नहीं, जिसमें हर चीज़ एक-सी असर करे। मेथी का पानी, भले ही प्राकृतिक है, पर यह एक active compound है, और शरीर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। खासकर जब इसे रोज़ाना खाली पेट लिया जाए।
जिन लोगों का ब्लड प्रेशर सामान्य से कम रहता है, उनके लिए मेथी का पानी ख़तरनाक साबित हो सकता है। यह ब्लड प्रेशर को और गिरा सकता है, जिससे सिर चकराना, थकान या बेहोशी जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। इसी तरह अगर आप ब्लड थिनर जैसी दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो मेथी के गुण और आपकी दवा की प्रकृति मिलकर शरीर में अनचाहा असर पैदा कर सकते हैं — मसलन ब्लीडिंग का जोखिम।
डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए तो मेथी एक दोधारी तलवार है। हां, यह ब्लड शुगर को कम कर सकती है, लेकिन यदि आप पहले से दवा ले रहे हैं और उस पर मेथी का पानी लेना शुरू कर दें, तो हाइपोग्लाइसीमिया यानी खतरनाक स्तर तक शुगर गिरने की आशंका बढ़ जाती है। इसी कारण डॉक्टरों से परामर्श लेना निहायत ज़रूरी है।
एलर्जी का मामला और भी पेचीदा है। मेथी, एक प्रोटीन-समृद्ध बीज है और कुछ लोगों के लिए यह एलर्जन की तरह काम कर सकता है। स्किन रैश, सांस लेने में तकलीफ, सूजन — ये सभी संकेत हैं कि शरीर इसका विरोध कर रहा है।
गर्भवती महिलाओं के लिए, खासकर पहली तिमाही में, मेथी का अति सेवन गर्भाशय में संकुचन को बढ़ावा दे सकता है। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में इसका जिक्र तो मिलता है, लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यह मिसकैरेज का खतरा भी पैदा कर सकता है।
असल में दिक्कत तब शुरू होती है जब हम किसी घरेलू उपाय को ‘वन-साइज़ फिट्स ऑल’ मानकर उसका अंधानुकरण करने लगते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर चल रहे ‘फैड्स’ की सबसे बड़ी समस्या यही है — कि वे हर सुझाव को एक सार्वभौमिक सत्य की तरह पेश करते हैं, जबकि स्वास्थ्य विज्ञान हमेशा context-based होता है।
मेथी का पानी एक प्रभावशाली प्राकृतिक टॉनिक है, पर इसका उपयोग समझदारी से और शरीर की ज़रूरतों के अनुरूप ही किया जाना चाहिए। इसके फ़ायदे तभी लाभकारी होते हैं जब नुकसान के पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाए। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि “प्राकृतिक” का अर्थ यह नहीं कि “सुरक्षित”।
तो अगली बार जब कोई आपको कहे कि सुबह उठकर मेथी का पानी ज़रूर पिएं, तो पहले खुद से एक सवाल पूछिए — क्या मेरा शरीर इसके लिए तैयार है?

